आज कल अक्सर मुसलमानों में ये कमियां पायी जाती है
हम मुसलमानों के लिए अल्लाह त'आला ने कुछ हुक्म दिया है ऐसे में अगर हम अल्लाह के उस हुक्म की नाफरमानी करें और अल्लाह के बताये हुक्म के मुताबिक़ काम न करें तो ये गुनाह है , गलत है लेकिन अगर हम अल्लाह के बताये उस काम को करें भी न और खुले आम उस काम की मुखालिफत करें उसका मज़ाक उड़ायें तो ये ज़्यादा बड़ा गुनाह और ज़्यादा बड़ा ऐब है जैसे
रमज़ानुल मुबाराक का रोज़ा हो गया अल्लाह ने रमज़ान के रोज़े रखना फ़र्ज़ करार दिया है मतलब अगर आपकी कोई ऐसी प्रॉब्लम नहीं जिसकी वजह से आपको रोज़े रखने में कोई दुश्वारी पैदा हो तो इस हालात में आपको रोज़े रखना ही रखना है लेकिन हमारे बहुत से मुसलमान भाई अच्छी सेहत होने के बावजूद सारी सहूलियात होने के बावजूद रोजा नहीं रखते है रमज़ान के रोज़े बाआसानी छोड़ देते है और हद तो इस बात की है की वो बेगैरिती और बेशर्मी के इस हद तक पहुच जाते हैं की रमज़ान के महीने में रोजादारो के सामने खुलेआम पानी पीते है, खुलेआम खाना खाते है , खुलेआम गुटका खाते है कहने का मतलब जो कुछ भी खाने का उनका दिल चाहता है वो खुलेआम खाते पीते है | शर्मो हया सब के सब अपने पीठ के पीछे डाल देते है
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हमारे बुज़ुर्ग बताते है की एक ज़माना था की रमज़ान के महीने में रोज़दारो के सामने ग़ैर मुस्लिम , काफिर भी खाना खाने से परहेज़ करते थे पानी पीने से परहेज़ करते थे और कहते थे की मुसलमानों का मुबारक महीना रमज़ान चल रहा है इसमें ये खाते पीते नहीं है लिहाज़ा हम भी इनका एहतेराम करेंगे इनके सामने खाना पीना नहीं खायेंगे |
लेकिन आज जब हम इस बेगैरती पर पहुँच गए जब इस्लाम का अहकाम हमारी नज़र में सिर्फ एक मज़ाक बन गया है हम खुद रोज़दारो के सामने खाना खाने लगे , पानी पीने लगे , गुटका खाने लगे और रमज़ान के महीने का और रोज़ेदारो का एहतेराम करना छोड़ दिया तो अब बताओ ग़ैर मुस्लिम कहा तक हमारा एहतेराम करेंगे ?
इसलिए ऐ मेरे प्यारे मुसलमानों ! सबसे पहले तो आप रोज़ा रखो रोज़ा रखना फ़र्ज़ है ये अल्लाह का हुक्म है सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बहुत सी खुशखबरी सुनाई है रोज़ा रखने वालो के लिए इसलिए आप रोज़ा रखो लेकिन अगर किसी बिमारी की वजह से या किसी और वजह से आप रोज़ा नहीं रख रहे है तो कम से कम रोज़े का एहतेराम करें रोज़ेदारो के सामने खाने पीने से परहेज़ करें अगर मज़ाक बनायेंगे तो आपका भी मज़ाक बनाया जायेगा
क्योकि अगर आप अल्लाह के अहकाम और अपने प्यारे मज़हब इस्लाम का एहतेराम नहीं करेंगे , अल्लाह के फरमान का एहतेराम नहीं करेंगे तो कभी भी आपका एहतेराम नहीं किया जायेगा |
इस पूरे हालात को अल्लामा इकबाल साहब ने अपने एक शेर में निचोड़ दिया है वो लिखते है
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