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Ramzan Mubarak - रमज़ान महीने की ये गलतफहमियां आप मे भी है ? - Sunni Muslim

रमज़ान के महीने में लोगो की कुछ गलतफहमियां और उसके जवाब 


Ramzan Mubarak


सवाल : क्या रमज़ान में दिनों में फतेहा हो सकती है ?

ग़लतफ़हमी : लोगो को ये कहते सुना जाता है की रमज़ान के दिनों में फतेहा नहीं दिलाई जा सकती क्योकि जिन औलिया ए केराम , बुज़ुर्ग या मर्हूमीन के नाम से फतेहा देना होता है वो रोज़ा रहते है |

जवाब : फतेहा औलिया ए केराम , बुज़ुर्ग या मर्हूमीन को खाना या शिरीनी पहुचाने के लिए नहीं बल्कि सवाब पहुचाने के लिए किया जाता है | इसलिए रमज़ान के दिनों में फतेहा हो सकती है इसमें कोई कराहत नहीं | ये सिर्फ एक गलतफहमी के सिवा कुछ भी नहीं 

नोट : बन्दों पर इबादत का हुक्म सिर्फ दुनिया में है आख़िरत में नहीं 


सवाल : क्या खुशबू , तेल , सुरमा लगाने से रोज़ा टूट जाता है ?

जवाब : खुशबू , तेल , सुरमा लगाने से रोज़ा नहीं टूटता ये सिर्फ एक ग़लतफ़हमी है |


सवाल : क्या रोज़े की शिद्दत का इज़हार कर सकते है ?

जवाब : हमारे बहुत से मुसलमान भाई बहन रोज़े के दरमियान ये शिकायत करते रहते है की रोज़ा बहुत खल रहा है , रोज़ा बहुत सख्त है , प्यास बहुत तेज़ लगी है , वगैरह वगैरह

बार बार इस तरह के अलफ़ाज़ को कहना रोज़े को मकरूह कर देता है

और रोज़े का सवाब कम कर देता है | क्योकि रोज़ा आपके लिए आज़माइश है

जो सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए रखा जाता है ऐसे में लोगो से इसकी शिद्दत का

ज़िक्र दुरुस्त नहीं |


सवाल : इफ्तार की दुआ कब पढ़ी जाती है ? 

जवाब : ज़्यादातर लोगो को देखा जाता है की वो रोज़ा खोलने से पहले ही इफ्तार की दुआ पढ़ लेते है और बाद में इफ्तार करते है जबकि इफ्तार की दुआ रोज़ा खोलने यानी इफ्तार करने के बाद पढ़ी जाती है |

इफ्तार की दुआ का तर्जुमा : ऐ अल्लाह मैंने तेरे लिए रोज़ा रखा , और तुझ पर ईमान लाया , तुझ पर भरोसा किया , और तेरे रिज़क से इफ्तार किया


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