ऐ मेरे कौम के मुसलमानों खुद को पहचानो
एक बार एक बूढी औरत मस्जिद के बाहर भीख मांग रही थी तभी वहाँ एक आदमी आया और बोला
ऐ बढ़ी अम्मा क्या आपका कोई बेटा नहीं है जो आप भीख मांग रही हैं |
इसपर बूढी अम्मा ने जवाब दिया बेटा " मेरा एक बेटा है जो 5 साल पहले बाहर देश कमाने चला गया है |
तो उस सख्श ने पूछा अम्मा क्या आपका बेटा बाहर मुल्क से आपको कुछ भेजता नहीं है
इसपर उस बूढी अम्मा ने जवाब दिया बेटा मेरा बेटा जब से बाहर गया है तब से वो मेरे पास कुछ रंग बिरंगे कागज़ भेजता है जिसे ,मै दीवारों पर चिपका देती हूँ | जब उस आदमी न ये सुना तो बूढी अम्मा के साथ उनके घर पर गया |
जब वो सख्श उस बूढी अम्मा के घर में दाखिल हुआ तो देखा की पुरे दिवार पर 50000 - 50000 के 60 ड्राफ्ट चिपके हुए है
उसके बाद उस सख्श ने बूढी अम्मा को उस ड्राफ्ट की हकीक़त बतायी तो वो अम्मा फूट फूट कर रोने लगी और बोली की मेरे पास इतनी ज्यादा दौलत है लेकिन कम इल्मी की वजह से भीख माँगा करती थी |
ऐ मेरे मुसलमान भाइयों इसी तरह हमारे पास कुरान है अहादीस है लेकिन हम उसकी अहमियत नहीं जानते है
हम उसे न तो पढ़ते है और न हि उसे समझते है और हम उसकी कम इल्मी की वजह से दर दर की ठोकरे खा रहे है कभी यहाँ तो कभी वहां भटक रहे है | ऐ मेरे कौम के मुसलमानों खुद को पहचानो तुम क्या हो ? तुम्हारे पास कितनी अज़ीम दौलत है
1 Comments
Haq hai
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