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इसलिए ज़रूरी है मस्जिद में लाउडस्पीकर से अज़ान - वजह जानें - Azan and Loudspeaker - Sunni Muslim

 मस्जिद में लाउडस्पीकर से अज़ान क्यों ? 


Azan Loudspeaker ban in India


आज हिन्दुस्तान में मुसलमानों को लेकर आय दिन कोई न कोई नयी आफत आती रहती है एक परेशानी खत्म नहीं हुई होती है लेकिन दूसरी दस्तक देने को तैयार रहती है | कही किसी मुसलमान को गोश्त के नाम पर क़त्ल कर दिया जाता है तो कही मुसलामानो के बहु बेटियों को इगवा करके उनके साथ इस्मतदरी ( बलात्कार ) करने की बात कही जाती है तो कही मुस्लिम बच्चियों के हिजाब को उतरवाने का मंसूबा बना कर उसे अमल में लाया जाता है | 

हम हिन्दुस्तान के कानून और यहाँ के सविंधान के मुखालिफ़ नहीं है लेकिन आज जिस तरह के कानून को बढ़ावा दिया जा रहा है उसपे गौर करने की ज़रूरत है कुछ साल पहले जब कोई मुसलामन किसी भी तरह का जुर्म करता था या नहीं भी करता था फिर भी साजिशन फसा दिया जाता था तो उसे जो सजा मिलती थी वो देश के कानून के मुताबिक़ मिलती थी पुलिस अपना काम अंजाम देती थी और अदालतों में मुक़दमे चला करते थे जिसमे 20 साल 30 साल बाद मुसलमानों को बेकसूर बता के छोड़ दिया जाता था 

लेकिन आज ये वक्त आ चूका है की मुसलमानों को तबाहो बर्बाद करने के लिए उनके दुकान और मकान को आग लगाने के लिए सरकार की तरफ से उनके दूकान और मकान पर बुलडोज़र चलवाने के लिए उनका मुसलमान नाम काफी हो गया है | बगैर किसी जाँच बगैर किसी कानून के मुसलमानों पे कार्यवाहियां हो रही है | 

और अब एक नया मामला सामने आया है अभी कुछ दिन पहले महारास्ट्र के राज ठाकरे ने मस्जिद में इस्तेमाल होने लाउडस्पीकर को लेकर बेतुके बयान दिए और मुसलमानों को धमकी दी जिसके बाद पूरे हिन्दुस्तान में ये मामला आग की तरह फ़ैल गया और मुल्क में ये बहस शुरू हो गयी की

" मुसलमान अपनी मस्जिदों से लाउडस्पीकर को उतार दें वरना उसके जवाब में हम ( हिन्दू समाज ) बिलकुल अज़ान के वक्त पे अपने घरो की छत पे और चौराहों पर लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे "

ये काम करने का उनका मकसद सिर्फ मुसलमानों के दीनी मामलात में खलल डालने से ज्यादा कुछ भी नहीं है | 

लेकिन इस बात से एक आम मुसलमान पर कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा आप शौक से लाउडस्पीकर बजाओ हनुमान चालीसा का पाठ करो , फज़र , जुहर , असर , मगरिब और इशा ये पाँच वक्त मुसलमानों के अज़ान के वक्त पे तेज़ लाउडस्पीकर बजाओ ऐसा करने से मुसलमानों को बस नमाज़ के दौरान थोड़ी परेशानी होगी इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं | लेकिन ये बात भी अपने ज़हन में आप रख लेना की आपका ये अमल ( लाउडस्पीकर में हनुमान चालीसा का पाठ ) ज़्यादा दिन तक आप खुद नहीं कर पाओगे | क्यों नहीं कर पाओगे उसकी वजह भी जान लो " जब भी कोई काम अकीदत और ख़ुशी से किया जाता है तो उस काम को करने में लुत्फ़ आता है और वो सालो साल तक बरकरार रहता है लेकिन जब भी कोई काम नफ़रत और बुग्ज़ की वजह से शुरू किया जाता है तो वो चंद दिनों में खत्म हो जाता है | आपका ( हिन्दू समाज ) ये अमल मुसलमानों से नफरत की वजह से शुरू हुआ है जबकि अज़ान अकीदत और मोहब्बत के साथ पिछले 1400 सालो से अपने वक्त पर दी जा रही है और हमेशा दी जाएगी | 

अब आप ये भी जान लो इस बीच एक सवाल खूब किया जा रहा है की " आखिर मुसलमान लाउडस्पीकर में अज़ान क्यों देते है क्या अल्लाह सुनता नहीं है ? ( माज़ल्लाह )

जवाब : सबसे पहले तो इस सवाल पे ही हसी आती है और सोचता हूँ की काश ये बात कहने वाला सवाल करने से पहले अज़ान के बुनियानी बातो को जान लेता | खैर हम आपको बताते है सबसे पहले तो आप ये जान लो की अज़ान अरबी जबान का एक लफ्ज़ है जो " उज़्न " लफ्ज़ का जमा ( बहुवचन , प्लूरल शब्द ) है | अज़ान का मतलब होता है " ऐलान " यानी किसी चीज़ के बारे में लोगो को आगाह करना , उन्हें खबरदार करना | अब सवाल का जवाब सुनो हम मुसलमान जो मस्जिद से अज़ान देते है वो अल्लाह को सुनाने के लिए नहीं देते है बल्कि वो अल्लाह के बन्दों को सुनाने के लिए देते है मुसलमानों को इस बात से आगाह करने के लिए अज़ान देते है की नमाज़ का वक्त हो गया है मस्जिद की तरफ आओ और नमाज़ पढ़ो | " हय्यालस्सला " नमाज़ की तरफ आओ , " हय्या लल्फ्ला " कामयाबी की तरफ आओ | इसलिए आज आप ये जान लो की अज़ान अल्लाह को सुनाने के लिए नहीं होती है बल्कि बन्दों के लिये है लेकिन जहाँ तक बात है अल्लाह के जानने की तो अल्लाह का फरमान है " वो तुम्हारे सीनों के भी राज़ों को जानता है - अल कुरआन " एक जगह और अल्लाह फरमाता है की " हम तुम्हारे शह , रग़ से भी ज़्यादा करीब है - अल कुरआन

अब ये भी जान लो की लाउडस्पीकर से क्यों देते है तो इसका सीधा सा जवाब है वक्त की ज़रुरत

इस बात समझने के लिए आप पहले ये समझो आज से 40 - 50  साल पहले एक इंसान की बात को किसी दूर दराज़ बैठे इन्सान तक पहुचाने के लिए ख़त का इस्तेमाल किया जाता था जिसे एक जगह से दुसरे जगह पहुचने में महीनो लग जाते थे लेकिन बाद में साइंस से तरक्की करी और टेलीफोन आया जिसके बाद थोड़ी और तरक्की हुई और मोबाइल आ गया आज के वक्त में हर इन्सान के हाथ में मोबाइल है जिसकी मदद से एक इन्सान का दुसरे इन्सान से राबता काफी आसान हो गया है | और ये बात लगभग सभी जानते है की मोबाइल से निकलने वाली रौशनी इन्सान की सेहत के लिए बहुत खतरनाक है बावजूद इसके वो मोबाइल का इस्तेमाल करते है क्योकि मोबाइल आज के वक्त की ज़रुरत है इसी तरह दुनिया के इस तेज़ रफ़्तार टेक्नोलॉजी के बीच हर इन्सान कही न कही किसी चीज़ मे मुब्तला है उसे अपने वक्त का पता नहीं होता है ऐसे में लाउडस्पीकर से होती अज़ान की आवाज़ दूर तक जाती है जिससे उस गाफिल इन्सान को मालूम चलता है की नमाज़ का वक्त हो चूका है मस्जिद की तरफ चलो | ऐसे में लाउडस्पीकर आज के वक्त की ज़रुरत है | और अज़ान में होने में सिर्फ 2 से 3 मिनट लगता है | 

लिहाज़ा आपको ये समझना होगा की लाउडस्पीकर के नाम पे जिस तरह मुल्क में नफरत को बढ़ाया जा रहा है मज़हब के नाम पर एक दुसरे से लडवाया जा रहा है वो सिर्फ अपनी सियासी ताक़त को कायम रखने के लिए ऐसा कर रहे है | आज मुल्क की बदहाली का हाल पूरी तरह से साफ़ है लेकिन लोग उसपे बोल न पाए सरकार से सवाल न कर पाए उसके लिए कभी गाय तो कभी हिजाब तो कभी अज़ान में लोगो को फसा दिया जाता है और लोग धर्म की अफीम चाट कर नशे में मदमस्त रहते है |  

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