Header Ads Widget

फितरा क्या है / what is fitra | सब कुछ जानें सिर्फ पोस्ट में | फितरा के मसाइल - Ramzan Fitra 2022

फितरा के मसाइल 


What is Fitra , Ramzan Fitra 2022


फ़ितरा क्या है ?

फितरा एक तरह का सदका है जिसे सदका ए फ़ित्र भी कहा जाता है फितरा रमज़ान के रोज़े पूरे होने बाद और ईद का चाँद देखने के बाद रुपया , कपडा , अनाज वगैरह जैसी चीजों की शक्ल में गरीबो को दिया जाता है |  इसका मकसद सिर्फ एक है जिस तरह मालदार अपने बच्चो के साथ ख़ुशी से ईद का जश्न मनाते है उसी तरह वही मालदार अपने माल से थोड़ा थोडा हिस्सा निकाल कर गरीबो को दे देते है ताकि उनकी ईद भी ख़ुशी के साथ गुज़रे | इस्लाम का ये तरीका इंसानियत के हक़ में बहुत फायदेमंद है जो हर हाल में गरीबो की फ़िक्र करता है | फितरा इस्लामी कानून का एक बेहतरीन अमल है |

फितरा देना किस पर वाजिब है ?

सदक़ा ए फ़ित्र हर मालिके निसाब मर्द ,औरत आकिल बालिग़ मुसलमान पर वाजिब है मालिके निसाब अपने नाबालिक बच्चे , बीवी , भाई बहन और वालिदैन का फितरा अदा करे अगर किसी बच्चे के वालिद की मौत हो चुकी हो तो उस नाबालिग बच्चे का फितरा अदा करना , घर में मौजूद मालिके निसाब पर वाजिब है 
मालिके निसाब होने के लिए कितना माल होना ज़रूरी है ये आप ज़कात के मसाइल वाले पोस्ट में पढ़ चुके है | लेकिन अगर आपने नहीं पढ़ा इसे पढने के बाद पढ़ लीजियेगा | 
बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 67-68
सदक़ा ए फ़ित्र और ज़कात में ये फर्क है की ज़कात में मालिके निसाब अपने कुल बचे माल का जिसपे एक साल गुज़र गया हो उसका सिर्फ 2.5 % जकात निकालता है जबकि सदका ए फ़ित्र में मालिके निसाब अपने घर में मौजूद बीवी , बच्चे , भाई , बहन , माँ , बाप सभी फर्द का अलग अलग एक तय रकम , रुपया , कपडा या अनाज निकाल कर गरीबो को देता है | अब एक फर्द पर कितना रुपया बनता है वो साल दर साल कीमत के हिसाब से बदलता रहता है

एक शख्स का कितना फितरा निकाला जाता है ?

इस्लामी कानून के मुताबिक़ एक शख्स के फितरे की मिकदार 2 किलो 47 ग्राम गेंहू होती है | अब आप चाहे तो सदक़ा ए फ़ित्र गेहूं देकर अदा करदें या फिर उतने गेंहूं की कीमत देकर ये आप खुद तय कर सकते हो | आज के वक्त 2 किलो 47 ग्राम गेंहू की कीमत लगभग 45 से 55 रुपये के बीच में होती है | 
📕अनवारुल  हदीस,सफह 257

फितरा क्यों दिया जाता है ?

हदीस शरीफ : नबीये अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते है कि बन्दे का रोज़ा आसमानो ज़मीन के बीच रुका रहता है, जब तक कि सदक़ा ए फित्र अदा ना कर दे|
बहारे शरीयत,हिस्सा 5,सफह 66

हदीस शरीफ : रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते हैं, कि सदक़ा ए फित्र इस लिए मुक़र्रर किया गया ताकि तमाम बुरी और बेहूदा बातों से रोज़ों की तहारत हो जाये|

अनवारुल हदीस,सफह 257
1. हदीस शरीफ : रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते हैं, कि सदक़ये फित्र देने वाले को उसके हर दाने के बदले जन्नत में 70000 महल मिलेंगे |
क्या आप जानते हैं,सफह 384

2. 
हदीस शरीफ : हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया उम्मते मुहम्मदिया में जब कोई शख्स सदक़ा करता है, तो जहन्नम रब से अर्ज़ करती है कि मौला मुझे सज्दये शुक्र की इजाज़त दे कि इस उम्मत से एक शख्स तो मुझसे निजात पा गया |
क्या आप जानते हैं,सफह 394

3. जैसा की आप जानते हो कि ज़कात , सदक़ा और फितरा की रकम आप मदरसे में भी दे सकते है जो बच्चो की तालीम पर खर्च किये जाते है | इस पर सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते है 

हदीस शरीफ : रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाया कि तालिबे इल्म पर 1 दरहम खर्च करना गोया उहद पहाड़ के बराबर सोना खर्च करना है|
क्या आप जानते हैं,सफह 385

नोट : सदक़ये फित्र में गेहूं की शुरुआत हज़रत अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के दौर से हुई इससे पहले सदक़ये फित्र में खजूर मुनक्का और जौ ही दिया जाता था |
क्या आप जानते हैं,सफह 393

Post a Comment

0 Comments