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बादशाह हारुन रशीद और उनका अदबे उस्ताद - A beautiful story - sunni muslim

उस्ताद का अदब क्या होता है आइये बताते है 


इमामे केसायी ने  हारुन रशीद जैसे बादशाह के पास पैग़ाम भेजा की आपका बेटा मामून रशीद मेरे घर तालीम हासिल करने आ जाया करे मै आपके घर पढ़ाने नहीं आऊंगा |

तो हारुन रशीद ने अर्ज़ किया ठीक है मेरा बेटा मामून आपके घर ही चला जाया करेगा लेकिन शर्त ये है आप मेरे बेटे का सबक बाकी तलबा से पहले सुन लेंगे  |

इसके बाद मामून रशीद हज़रते इमामे केसायी के पास तालीम हासिल करने लगे एक दिन बादशाह हारुन रशीद का गुज़र उधर से हुआ तो देखा इमामे केसायी अपने पावं धुल रहे है और उनका बेटा मामून पानी डाल रहा है | ये देख कर बादशाह हारुन रशीद गज़बनाक हो गए  | घोड़े से उतरे और अपने बेटे मामून को कोड़ा लगाकर कहा ओ बेअदब तुझे आल्लाह ने दो हाथ किस लिए दिए है एक हाथ से पानी डाल और अपने दुसरे हाथ से उस्तादे मोहतरम का पैर धो |

एक वो ज़माना था जब बाप अपने बेटो को इस तरह की तरबियत दिया करते थे लेकिन आज बच्चे का सारा मामला सिर्फ स्कूल और मदरसे तक महदूद है उन्हें तालीम तो सुबहो शाम दी जाती है लेकिन उनका तरबियत से कोई वास्ता नहीं है 

ये बात याद रखें 

तरबियत के बगैर तालीम इसी तरह है जिस तरज जिस्म बगैर रूह के है |

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