हक़ की सदा हो हक़ का हो ऐलान या हुसैन
बातिल की कश्तियों पे हो तूफान या हुसैन
ये आपकी ही शान है वरना जहान में
पढ़ता है कौन नेज़े पे क़ुरआन या हुसैन
हर हर्फ़ जिसका खूने वफ़ा से है तर बतर
करबल में तुमने लिखा वो दीवान या हुसैन
जो तय्यबो खबीस में करता है इम्तियाज़
हक़्कानियत का ऐसा ही मीज़ान या हुसैन
नाना नबी हो बाबा अली माँ हो फातिमा
इतनी बलंद किसी की कहा शान या हुसैन
उल्फत तुम्हारी खुलदे बरी तक दिलायेगी
फय्याज़ का है आपपे इकान या हुसैन
- मोहम्मद फय्याज़ मिस्बाही इलाहाबादी
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