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April fool's day and Islam - इस्लाम में इसे मनाने से मना क्यों किया गया है जानें - Sunni Muslim

 अप्रैल फूल मनाना इस्लाम में जायज नहीं - April Fool's Day


 April Fool's day and Islam
 

 ये भी एक नहूसत है कि मुसलमान झूठ बोलकर या धोखा देकर अपने भाई को बेवकूफ बनाता है
और
उसपे फख्र करता है कि मैंने फलां को बेवकूफ बनाया हालांकि झूठ बोलना और धोखा देना
दोनों ही हराम काम  है,अल्लाह  त'आला इरशाद फरमाता है कि
  • " झूठो पर अल्लाह की लानत है " 
- अल कुरआन , सूरह आले इमरान,आयत 61
  • " बेशक अल्लाह उसे राह नहीं देता जो हद से बढ़ने वाला बड़ा झूठा हो " 
- अल कुरआन , सूरह मोमिन,आयत 28
  • " मर जाएं दिल से तराशने वाले " ( यानि झूठ बोलने वाले ) 
-अल कुरआन ,सूरह ज़ारियात,आयत 10
  • " झूठ और बोहतान वही बांधते हैं जो अल्लाह की आयतों पर ईमान नहीं रखते "
- अल कुरआन , सूरह नहल,आयत 105




और वादे के ताल्लुक़ से अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान में इरशाद फरमाता है

  • " और वादा पूरा करो कि बेशक क़यामत के दिन वादे की पूछ होगी "
अल कुरआन , सूरह असरा,आयत 34
  • " ऐ ईमान वालो वादों को पूरा करो "
- अल कुरआन , सूरह मायदा,आयत 1

हदीसे पाक में मज़कूर है हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि

  • हदीस शरीफ : जिस के अन्दर ये बातें पायी जाए यानि जब बात करे तो झूट बोले वादा करे तो पूरा ना करे और अमानत रखी जाए तो उसमे खयानत करे तो वो खालिस मुनाफिक़ है अगर चे वो नमाज़ पढ़े रोज़ा रखे और मुसलमान होने का दावा करे - मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 56
  • हदीस शरीफ : बेशक झूठ गुनाह की तरफ ले जाता है और गुनाह जहन्नम में
बुखारी,जिल्द 2,सफह 900
  • हदीस शरीफ : उस शख्स के लिए खराबी है जो किसी को हंसाने के लिए झूठ बोले
- अत्तर्गीब वत्तर्हीब,जिल्द 3,सफह 599
  • हदीस शरीफ : झूठा ख्वाब बयान करना सबसे बड़ा झूठ है 
-मुसनद अहमद,जिल्द 1,सफह 96
  • हदीस शरीफ : मोमिन की फितरत में खयानत और झूठ शामिल नहीं हो सकती
-इब्ने अदी,जिल्द 1,सफह 44
  • हदीस शरीफ : झूठे के मुंह को लोहे की सलाखों से गर्दन तक फाड़ा जायेगा
बुखारी,जिल्द 2,सफह 1044


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ज़रा गौर कीजिये कि मज़ाक के नाम पर झूठ बोलने पर किस तरह इस्लाम में आपको रोका गया है  | हंसी मज़ाक करना या दिल बहलाना हरगिज़ गुनाह नहीं बस शर्त ये है कि झू ना बोला जाए और किसी का दिल ना दुखाया जाए | इस्लाम में तफरीहात हरगिज़ मना नहीं बल्कि रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है,पढ़िए

  • हिकायत : एक मर्तबा एक ज़ईफा बारगाहे नबवी में आईं और कहने लगी कि हुज़ूर मेरे लिए दुआ फरमा दें कि अल्लाह मुझे जन्नत में दाखिल करे,आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने उससे फरमाया कि कोई बुढ़िया जन्नत में  नहीं जाएगी,इस पर वो रोने लगी तो आपने मुस्कुराते हुए फरमाया कि ऐ अल्लाह की बन्दी मेरे कहने का ये मतलब है कि कोई बूढ़ी औरत जन्नत में नहीं जाएगी बल्कि हर बूढ़ी को जवान बनाकर जन्नत में भेजा जायेगा,तो वो खुश हो गयी इसी तरह एक सहाबी हाज़िर हुए और सवारी के लिए ऊंट मांगा तो आप फरमाते हैं कि मैं ऊंटनी का बच्चा दूंगा तो वो कहते हैं कि हुज़ूर मैं बच्चे पर सवारी कैसे करूंगा तो आप मुस्कुराकर फरमाते हैं कि ऊंट भी तो ऊंटनी का बच्चा ही होता है ऐसे ही कई सच्ची तफरीहात अम्बिया व औलिया व सालेहीन से मनक़ूल है 
रूहानी हिकायत,सफह 151
  • हिकायत : एक फक़ीह किसी के घर में किराए पर रहते थे, मकान बहुत पुराना और बोसीदा था अकसर दीवारों और छतों से चिड़चिड़ाने की आवाज़ आती रहती थी,एक दिन जब मकान मालिक किराया लेने के लिए आये तो फक़ीह साहब ने फरमाया कि पहले मकान तो दुरुस्त करवाइये तो कहने लगे कि अजी अल्लामा साहब आप बिल्कुल न डरें ये दीवार और छत तस्बीह करती रहती है उसकी आवाज़ें हैं,तो फक़ीह बोले कि तस्बीह तक तो गनीमत है लेकिन अगर किसी रोज़ आपकी दीवार और छत पर रिक़्क़त तारी हो गयी और वो सजदे में चली गयी तब क्या होगा |
- मुस्ततरफ,सफह 238

कहने का मतलब सिर्फ इतना है की हंसी मज़ाक करिये बिल्कुल करिये मगर झू ना बोलिये गाली गलौच ना कीजिये और ना किसी की दिल आज़ारी कीजिये,मौला से दुआ है कि हम सबको हक़ सुनने हक़ समझने और हक़ पर चलने की तौफीक अता फरमाये -आमीन 




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