इस्लाम की इस खूबसूरती से अक्सर लोग वाकिफ़ नहीं है
मशहूर बुज़ुर्ग और मशहूर आलिमे दीन मौलाना रूमी अलैहिर्रहमा एक जानी मानी शख्सियत गुज़री है | एक बार मौलाना रूमी अलैहिर्रहमा एक गली से गुज़र रहे थे | जो उनके घर की ही गली थी | और वो रोज़ उसी गली से अपने घर को जाते थे गली इस कदर पतली थी की उसमे दो लोग एक साथ नहीं गुज़र सकते थे | जब वो गली में दाखिल हुए तो उन्होंने देखा की एक कुत्ता गली के बीचो बीच में सो रहा है | जब उनकी नज़र उस कुत्ते पर पड़ी तो वही से वो वापस हो गए और दूसरे रास्ते से घर की तरफ चल दिए | वो रास्ता गली वाले रास्ते के मुकाबले बहुत लम्बा रास्ता था | तभी एक शख्स ने मौलाना साहब से सवाल किया की आप इस रास्ते से क्यों जा रहे हो | इस रास्ते से आपका घर काफी दूर पड़ेगा इससे बेहतर तो आप गली वाले रास्ते चले जाते | इस पर मौलाना रूमी अलैहिर्रहमा मुस्कुराए और बोले .. मै जब उस गली से गुज़र रहा था तो मेरी नज़र एक कुत्ते पर पड़ी जो गली में सो रहा था | इसलिए मै वह से वापस आ गया क्योकि मै नहीं चाहता था की मेरी वजह से उस कुत्ते की नींद खराब हो | और उसे किसी भी तरह की कोई तकलीफ पहुचे |
ये है इस्लाम जो सोते हुए कुत्ते की नींद न खराब करने की फ़िक्र रखता है | जानवर को भी तकलीफ पहुचाने से मना करता है | और नादान कहते है " इस्लाम जुल्मो जब्र का मज़हब है"
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ये तो गैरो का हाल है लेकिन अब अपने मुसलमान भाइयो का हाल देखो | हम सभी मौलाना रूमी अलैहिर्रहमा को मानने वाले है | लेकिन जहाँ एक तरफ मौलाना रूमी एक सोते हुए कुत्ते को भी तकलीफ नहीं पहुचा रहे है वही दूसरी तरफ हमारा भाई हमसे परेशान है , हमारा पडोसी हमसे परेशान है | हमारे घर वाले हमसे परेशान है | और हद तो ये है की हम कुछ काम सिर्फ इसीलिए करते ही है ताकि सामने वाले को नुकसान पहुचे |
ये तो गैरो का हाल है लेकिन अब अपने मुसलमान भाइयो का हाल देखो | हम सभी मौलाना रूमी अलैहिर्रहमा को मानने वाले है | लेकिन जहाँ एक तरफ मौलाना रूमी एक सोते हुए कुत्ते को भी तकलीफ नहीं पहुचा रहे है वही दूसरी तरफ हमारा भाई हमसे परेशान है , हमारा पडोसी हमसे परेशान है | हमारे घर वाले हमसे परेशान है | और हद तो ये है की हम कुछ काम सिर्फ इसीलिए करते ही है ताकि सामने वाले को नुकसान पहुचे |
जबकि हमारा प्यारा मज़हब हमारा इस्लाम हमें बताता है हमारे बुजुर्गो का तरीका हमें बताता है की
- अगर आपके करीब में कोई इंसान सो रहा हो तो आप कुरआन मजीद इतनी तेज़ आवाज़ में न पढ़ें जिससे उसकी नींद खराब हो और उसे परेशानी हो |
- किताबों में आता है की अगर आप हज के दौरान संगे अस्वद को चूमने के लिए जाएँ और लोगो को उससे परेशानी हो तो आप इशारे से चूम लीजिये , लाठी से चूम लीजिये आपका हज हो जायेगा |
लिहाज़ा हमें चाहिए की हम अपने ज़िन्दगी में ऐसा रवय्या इख्तेयार करें की किसी को भी तकलीफ न पहुचे | मुस्लिम ही नहीं बल्कि किसी ग़ैर मुस्लिम को भी तकलीफ न पहुचे | इस्लाम कहीं पर भी ये नहीं कहता की आप किसी को भी जबरजस्ती तकलीफ पहुचाएं | इंसान ही नहीं बल्कि जानवर को भी तकलीफ पहुचे इस्लाम इसकी इजाज़त नहीं देता |
अभी मौलाना रूमी अलैहिर्रहमा का वाकिया आपने पढ़ा जिसमे उन्होंने एक कुत्ते की भी नींद को ख़राब न किया | लेकिन हमारा हाल ये है की हमारे घर में कभी गलती से कोई कुत्ता या कोई और जानवर आ जाता है तो हम उसे इतना जबरदस्त मार देते है जिससे जानवर की मौत हो जाती है या उसके जिस्म का कोई हिस्सा ज़ख़्मी हो जाता है | अगर हम इसपे आपसे पूछे की आपने ऐसी कौन सी इबादत की थी ? कौन सी ऐसी नेकी की थी ? जिसकी वजह से आपको अल्लाह ने इन्सान बनाया | आपको शुक्र अदा करना चाहिए की अल्लाह ने आपको कुत्ता या कोई और जानवर नहीं बनाया | कुत्ता बिल्ली सारे जानवर और परिंदे अल्लाह की ही मखलूक है लिहाज़ा आप पर ये ज़रूरी है की आप जानवर को खाना खिलाएं पानी पिलायें इससे आपको सदके का सवाब मिलेगा लेकिन अगर आपके पास खिलाने की तौफीक नहीं है आप उसे खिला नहीं सकते तो बराए मेहरबानी आप उसे मारा हरगिज़ न करें उन्हें तकलीफ न दिया करें | वरना अगर आप तारिख उठाकर देखेंगे तो कहीं कहीं जानवर को तकलीफ पहुचाने की वजह जानवर की बद्दुआ की वजह से अल्लाह ने पूरी पूरी बस्ती को तबाहो बर्बाद कर दिया है |
ऐसे में अगर कोई जानवर आपको बुरा लगता है आपको तकलीफ भी पहुचाता है | गलती से आपके घर में दाखिल हो जाता है | तो उसे मरने से पहले ये ज़रूर देखें की वो मखलूक किसकी है ? क्योकि जब अल्लाह की मखलूक पर कोई रहम किया जाता है तो अल्लाह उसपर रहम करता है | ऐसे में अगर किसी जानवर या किसी इन्सान की वजह से आपको तकलीफ पहुच जाए तो आप ये सोचकर माफ़ कर दिया करिए की जो मेरा खालिक है वही इस जानवर का भी खालिक है |
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