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आज के हालात पर माज़ी में मुसलमानों से कहे इन अल्फाज़ो को पढ़ो - حضرت ابو درداء کا مسلمانوں سے خطاب - Sunni Muslim

आज दुनिया में मुसलमानों के जो हालात है उसपर माज़ी में कही गयी इस बात को पढ़ो समझो , और नींद से बेदार हो जाओ |



हज़रत अबु दरदा र.अ. का मुसलमानों से खिताब 

حضرت ابو درداء کا مسلمانوں سے خطاب


हज़रते अबू दरदा रज़ियल्लाहु अन्हु ने फरमाया ऐ लोगो! जो कुछ मैं जानता हूँ अगर तुम जानते तो आबादी छोड़ कर वीरान टीलों की तरफ निकल जाते और अपने को रियाजत में मशगूल करते, गिरया व जारी करते और ज़रूरी सामान के इलावा तमाम माल व दौलत छोड़ देते लेकिन दुनिया तुम्हारे आमाल की मालिक बन गई है और दुनिया की उम्मीदों ने तुम्हारे दिल से आखिरत की याद मिटा कर रख दी है |

और तुम (उस के लिए) जाहिलों की तरह सर-गरदाँ हो, तुम में से बाज लोग जानवरों से भी ज्यादा बुरे हैं जो अपनी ख्वाहिशात में अन्धे बनकर अंजाम की फिक्र नहीं करते, तुम सब दीनी भाई होते हुए एक दूसरे से मुहब्बत नहीं करते हो और न ही एक दूसरे को नसीहत करते हो तुम्हारे खब्से बातिन ने तुम्हारे रास्ते जुदा कर दिए हैं, अगर तुम सीधे रास्ते पर चलते तो ज़रूर आपस में मुहब्बत करते, तुम दुनियावी उमूर में तो आपस में मशवरे करते हो मगर आखिरत के उमूर में मशवरा नहीं करते और तुम उस ज़ात से मुहब्बत नहीं रखते जो तुम्हें महबूब रखता है और तुम्हें आख़िरत की भलाई की तरफ़ ले जाना चाहता है ।

यह सब इस लिए है कि तुम्हारे दिलों में ईमान कमज़ोर पड़ चुका है |अगर तुम आखिरत की भलाई और बुराई पर यकीन रखते जैसे दुनियावी ऊँच नीच पर यकीन रखते हो तो तुम दुनिया पर आखिरत को तर्जीह देते क्यों कि आख़िरत तुम्हारे आमाल की मालिक है।

अगर तुम यह कहो कि हम पर दुनिया की मुहब्बत ग़ालिब है तो यह तुम्हारा बेकार बहाना है क्यों कि तुम मुकर्ररा मीआद में आने वाली आखिरत पर इस दुनिया को तर्जीह दे रहे हो और अपने जिस्म को उन कामों से दुख दर्द झेलने पर मजबूर कर रहे हो जिन्हें तुम कभी भी नहीं पा सकते, तुम बड़े ना-हनजार हो, तुम ईमान की हकीकत को पहचानते ही नहीं ,

अगर तुम्हें मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की लाई हुई किताब (कुरआन मजीद) में शक है तो हमारे पास आओ, हम तुम्हारी ऐसे नूर की तरफ़ राहनुमाई करेंगे जिस से तुम्हारे दिल मुतमइन हो जायें, ब-खुदा तुम कम अकली का बहाना बनाकर जान नहीं छुड़ा सकते क्यों कि दुनियावी उमूर में तुम पुख्ता राय वाले हो और उन्हें ब-खूबी सरअंजाम दे रहे हो ।

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तुम्हें क्या हो गया है तुम मामूली सी दुनिया पर खुश हो जाते हो और मामूली से दुनियावी नुकसान पर बहुत उदास हो जाते हो, तुम्हारे चेहरे और ज़बानें दुख को जाहिर करने वाली हैं और तुम उसे मुसीबत कहते हो और तुम दुनिया पर गुनाहों से आलूदा ज़िन्दगी गुज़ारते हो और दीन के अक्सर हुक्मों को नज़रअन्दाज़ कर देते हो और उस से न तुम्हारे चेहरों पर शिकन आती है और न ही तुम्हारी हालत में कोई बदलाव पैदा होता है । 

ऐसा मालूम होता है जैसे अल्लाह तआला तुम से बरी हो तुम आपस में मुहब्बत रखते हो मगर अल्लाह तआला के सामने हाज़िरी को अपनी बद-आमालियों की वजह से बहुत बुरा समझते हो, तुम खाइन बन गये और उम्मीदों के पीछे दौड़ने लगे और मौत का इन्तेज़ार ख़त्म कर दिया ।

मैं अल्लाह तआला से दुआ माँगता हूँ, वह मुझे तुम से अलाहिदगी बख़्शे और मुझे अपने महबूब की खिदमत में पहुँचा दे । अगर वह दुनिया में तशरीफ़ फ़रमा होते तो मैं कभी तुम में रहना पसन्द नहीं करता अगर तुम में नेक बनने की तड़प है तो मैं तुम्हें बहुत कुछ बता चुका, अल्लाह तआला से नेअमतों का सवाल करो, बहुत आसानी से पालोगे । मैं अपने और तुम्हारे लिए अल्लाह से दुआ माँगता हूँ।


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