आइये बताते है मदरसों की हक़ीक़त क्या है ?
वसीम रिज़वी एक ऐसा नाम जिसे इंसान कहना इन्सान की बेहुरमती होगी क्योकि वसीम रिज़वी के पास इंसानियत जैसी कोई चीज़ मौजूद ही नहीं है | नाम तो वसीम है लेकिन इसका इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं | ऐसा मै इसलिए कह रहा की ये खबीस वसीम रिज़वी आय दिन इस्लाम को लेकर बेतुकी बाते करता रहता है और जो बाते ये कहता असल में इस्लाम में उसका कोई असल होता ही नहीं | जैसे इसने कहा था
वसीम रिज़वी का बयान : पिछले 5 साल में वो भी सिर्फ उत्तर प्रदेश में 22 हज़ार लीगल और इललीगल नए मदरसे खुले | जहाँ पर बच्चो को ये बताया और ये पढ़ाया जाता है की काफिरों को कत्ल करना वाजिब है काफिरों का कत्ल करके हि जन्नत मिलेगी |
वसीम रिज़वी के बयान पर जवाब : वसीम रिज़वी सबसे पहले तो ये बताये की इस्लाम की कौन सी किताब में ये लिखा है की काफिरों का कत्ल करना वाजिब है ?
लेकिन अगर कुछ देर के लिए वसीम रिज़वी की ये बात मान लिया जाये की मदरसों में काफिरों को कत्ल करना बताया और पढ़ाया जाता है |
तो इसपे भी मेरा एक सवाल है : वसीम रिज़वी के ही बयान के मुताबिक पिछले 5 साल में और वो भी सिर्फ उत्तर प्रदेश में 22 हज़ार लीगल और इललीगल मदरसे खुले है | और अगर 22 हज़ार मदरसे 5 साल में नए आये तो उसमे बच्चे भी बहुत आये होंगे जिसमे पिछले 5 साल में करीब 1 लाख से ज्यादा बच्चे फारिग़ भी हो चुके होंगे | तो इसमें से एक लाख तो छोडो 22 हज़ार मदरसों से सिर्फ 22 लोगो का नाम बताओ जो मदरसे में पढ़े हो वहाँ से फारिग़ हुए हों और आतंकवादी बन गए हो | अगर मदरसे में काफिरों को कत्ल करना वाजिब है | ये पढाया और बताया जाता है तो ले आओ 22 लोगो को सामने |
ये भी नहीं ला सकते हो क्योकि मदरसों में आतंकवादी पैदा नहीं होते है बल्कि मदरसों से मौलाना अबुल कलाम आज़ाद , अल्लामा फ़जले हक़ खैराबादी , मौलाना सदरुद्दीन , मौलाना इनायत उल्ला काकोरी जैसे लोग पैदा होते है | जिन्होंने हिदुस्तान की आजादी में हर ऐतबार से अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खड़ा किया | अंग्रेजो के खिलाफ फतवा दिया की इनके खिलाफ जिहाद किया जाये और अपने मुल्क हिन्दोस्तान को आज़ाद कराया जाए | और मौलाना इनायत उल्ला काकोरी को काला पानी की सज़ा सिर्फ इसलिए दी गयी थी क्योकि उन्होंने हिन्दोस्तान के आजादी की बात की थी | अल्लामा क़ाफ़ी रहमतुल्लाह अलैहि को सूली पर सिर्फ इसलिए चढ़ाया गया था क्योकि उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ जंग का ऐलान किया था |
ये है मदरसे के फारेगीन | आप अपने ज़हन में ये बात बैठा लें की मदरसों में आतंक की नही बल्कि अमन और शांति की तालीम दी जाती है | हैवानियत की नहीं इंसानियत की तालीम दी जाती है , जुल्मो जबर की नहीं बल्कि रहमदिली की तालीम दी जाती है , आप इस फसाद फैलाने वालो , मशहूर होने के लिए बेतुकी बाते करने वालो के चक्कर में न पड़ें | इनकी बाते बिलकुल भी सही नहीं होती | अगर आप फिर भी जानना चाहते है तो आप मदरसा आयें वहाँ का नेसाब देखें | वहाँ के उस्ताद से मिलें और देखें की मदरसों के बच्चो को क्या पढ़ाया जाता है | वसीम रिज़वी जैसे फ़सादियों के चक्कर में बिलकुल भी न पड़ें | आप खुद मदरसा आयें और देखे वहाँ क्या पढाया जाता है |
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