रमज़ान में दुआ करने का सही वक्त और तरीका – हर दुआ होगी क़बूल!
किरदार
रमज़ान एक ऐसा पाक महीना है जिसमें अल्लाह की रहमतें बरसती हैं और दुआओं की क़बूलियत के दरवाज़े खुल जाते हैं। इस महीने में की गई दुआएं जल्द क़ुबूल होती हैं, बशर्ते कि उन्हें सही वक्त और तरीके से मांगा जाए। इस लेख में हम जानेंगे कि रमज़ान में दुआ करने का सबसे बेहतर वक्त और तरीका क्या है, जिससे आपकी हर दुआ क़ुबूल हो सके।
1. रमज़ान में दुआ की अहमियत
रमज़ान में अल्लाह की रहमत और बरकत सबसे ज़्यादा होती है। इस महीने में की गई इबादत और दुआ का कई गुना ज़्यादा सवाब मिलता है। हदीसों में भी आता है कि रमज़ान में अल्लाह अपने बंदों की दुआ को ज़्यादा तवज्जो देता हैं और उन्हें क़ुबूल करते हैं।
हदीस:“रमज़ान के दौरान रोज़ेदार की दुआ को अल्लाह रद्द नहीं करता।”
2. रमज़ान में दुआ करने का सबसे बेहतर वक्त
अगर आप चाहते हैं कि आपकी दुआ क़ुबूल हो, तो रमज़ान के कुछ खास वक्त में दुआ करना बेहद फ़ायदेमंद होगा।
(1) सेहरी का वक्त
सेहरी का वक्त बेहद खास होता है क्योंकि यह रात के आखिरी पहर में आता है।इस वक्त अल्लाह अपने बंदों की दुआओं को खास तवज्जो देता हैं।यह वक्त ताहज्जुद की नमाज़ और इबादत के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है।
(2) इफ़्तार के वक्त
इफ़्तार के वक्त रोज़ेदार की दुआ बहुत जल्द क़ुबूल होती है।
इस वक्त रोज़े की बरकत होती है और अल्लाह की रहमत का नुज़ूल होता है।
इफ़्तार से पहले कुछ मिनट दुआ में गुज़ारना बहुत फ़ायदेमंद होता है।
(3) तरावीह के दौरान और बाद में
तरावीह की नमाज़ रमज़ान की ख़ास इबादतों में से एक है।
इस दौरान मांगी गई दुआ बहुत असरदार होती है।
नमाज़ के बाद तस्बीह और दुआ करना भी एक अच्छी आदत है।
(4) जुमा (शुक्रवार) के दिन
रमज़ान में आने वाला हर जुमा बहुत अहम होता है।
जुमा के दिन दुआ की क़बूलियत के खास लम्हे होते हैं।
इस दिन इबादत और दुआ पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
(5) शब-ए-क़द्र की रातें
शब-ए-क़द्र रमज़ान की सबसे मुबारक रातों में से एक है।
यह रात हज़ार महीनों से ज़्यादा अफ़ज़ल होती है।
इस रात में मांगी गई हर दुआ क़ुबूल होती है।
3. रमज़ान में दुआ करने का सही तरीका
दुआ करने के कुछ खास तरीके होते हैं जिनसे दुआ क़ुबूल होने की इम्कान(संभावना) बढ़ जाती है।
(1) अल्लाह की हम्द-ओ-सना करें
दुआ की शुरुआत अल्लाह की तारीफ़ और हम्द-ओ-सना से करें। यह तरीक़ा आपकी दुआ की अहमियत को बढ़ा देता है।
(2) दरूद शरीफ़ पढ़ें
दुआ से पहले और बाद में दुरूद शरीफ़ पढ़ना बहुत फ़ायदेमंद होता है। इससे दुआ जल्द क़ुबूल होती है।
(3) गुनाहों की माफ़ी मांगे
अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगे और तौबा करें। जब इंसान अपने गुनाहों को क़ुबूल करता है, तो अल्लाह उसकी बाकी दुआओं को भी क़ुबूल करता है।
(4) पूरी शिद्दत से दुआ करें
दुआ करते वक्त सच्चे दिल से, पूरे ध्यान और शिद्दत से मांगे। अल्लाह अपने बंदों की सच्ची और दिल से निकली दुआ को क़ुबूल करता है।
(5) सिर्फ़ अपनी नहीं, दूसरों की भलाई की भी दुआ करें
दुआ में सिर्फ़ अपनी ज़रूरतों की नहीं बल्कि अपने परिवार, दोस्तों, और पूरी उम्मत-ए-मुस्लिमा की भलाई के लिए भी दुआ करें।
(6) हाथ उठाकर और रोकर दुआ करें
अल्लाह से दुआ मांगते वक्त हाथ उठाना और दिल से रोकर गिड़गिड़ाना एक असरदार तरीक़ा है। यह तरीक़ा बताता है कि आप वाकई अल्लाह से मदद मांग रहे हैं।
4. रमज़ान में पढ़ी जाने वाली खास दुआएं
रमज़ान के दौरान कुछ ख़ास दुआएं पढ़ने से ज़्यादा सवाब मिलता है और दुआ की क़बूलियत के चांस भी बढ़ जाते हैं।
तर्जुमा:--ऐ अल्लाह! तू बहुत माफ़ करने वाला है, तू माफ़ी को पसंद करता है, मुझे भी माफ़ कर दे।"
नतीजा
रमज़ान इबादत और दुआओं का महीना है। अगर हम सही वक्त और सही तरीके से दुआ करें, तो हमारी हर दुआ क़ुबूल हो सकती है। सेहरी, इफ़्तार, तरावीह, जुमा और शब-ए-क़द्र जैसे खास लम्हों में दुआ करने की आदत डालें और अल्लाह से अपने लिए, अपने परिवार और पूरी उम्मत के लिए भलाई मांगे। इंशाअल्लाह, अल्लाह हमारी दुआओं को क़ुबूल फ़रमाएगा।
क्या आपने रमज़ान में दुआ करने के इन खास तरीकों को आज़माया है? हमें कमेंट में बताएं!
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