शब-ए-क़द्र: हज़ार रातों से बेहतर रात की फज़ीलत
किरदार
इस्लाम में रमज़ान का महीना बरकतों और रहमतों से भरा होता है, लेकिन इस महीने की सबसे खास रात शब-ए-क़द्र होती है। यह वह रात है जिसका ज़िक्र खुद कुरआन में किया गया है और जिसे हज़ार महीनों से बेहतर बताया गया है। इस लेख में हम शब-ए-क़द्र की अहमियत, इसके फज़ाइल और इस रात की इबादत के तरीकों के बारे में जानेंगे।
शब-ए-क़द्र की अहमियत
शब-ए-क़द्र का उल्लेख कुरआन की सूरह क़द्र में किया गया है:
"हमने इसे शब-ए-क़द्र में उतारा। और आप क्या जानें कि शब-ए-क़द्र क्या है? शब-ए-क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है।" (कुरआन, 97:1-3)
इस रात में फरिश्ते ज़मीन पर उतरते हैं और यह रात सुबह तक सलामती और बरकतों से भरी रहती है। यह रात रमज़ान की आखिरी दस रातों में से किसी एक होती है, खासकर 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं या 29वीं रात को शब-ए-क़द्र माना जाता है।
शब-ए-क़द्र की इबादत और अमल
इस मुबारक रात में किए जाने वाले कुछ ख़ास अमल इस तरह हैं:
1. नफ़िल नमाज़ अदा करें
शब-ए-क़द्र में ज़्यादा से ज़्यादा नफ़िल नमाज़ पढ़ना बहुत फ़ायदेमंद है। यह अल्लाह से करीब होने का बेहतरीन मौका होता है।
2. कुरआन की तिलावत करें
शब-ए-क़द्र वही रात है जब कुरआन नाज़िल हुआ, इसलिए इस रात में कुरआन पढ़ना और उस पर गौर-ओ-फ़िक्र करना बहुत सवाब का काम है।
3. तौबा और इस्तग़फ़ार करें
अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने का यह सबसे अच्छा वक्त होता है। एक मशहूर दुआ है:
"اللهم إنك عفو تحب العفو فاعف عني"
"अल्लाहुम्मा इन्नका अफ़ुव्वुन तुहिब्बुल अफ़्वा फ़ा'फ़ु अन्नी।"
तर्जमा:-
(ऐ अल्लाह! तू बहुत माफ़ करने वाला है, माफ़ी को पसंद करता है, मुझे भी माफ़ कर दे।)
4. दुआएं मांगे
शब-ए-क़द्र में की गई दुआओं की ख़ास अहमियत होती है। इस रात में अपनी और अपने परिवार की भलाई, सेहत, और मग़फ़िरत के लिए दुआ मांगें।
5. सदक़ा और खैरात करें
ज़रूरतमंदों की मदद करें और ग़रीबों को सदक़ा दें, क्योंकि इस रात में किया गया हर नेक काम कई गुना बढ़कर वापस मिलता है।
शब-ए-क़द्र के फज़ीलत
यह रात हज़ार महीनों (83 साल से भी अधिक) की इबादत से ज़्यादा बेहतर है।
इस रात में गुनाहों की माफ़ी मांगने वाले को अल्लाह माफ़ कर देता है।
फरिश्ते रहमतें और बरकतें लेकर ज़मीं पर उतरते हैं।
यह रात सुबह तक सलामती और नूरानी रहमतों से भरी होती है।
शब-ए-क़द्र को पहचानने की निशानियां
यह रात बहुत ही शांत और सुकून भरी होती है।
इस रात में मौसम बेहद खुशगवार होता है, न बहुत गर्मी होती है और न ठंड।
अगली सुबह सूरज बिना किरणों के हल्की रोशनी के साथ निकलता है।
नतीजा
शब-ए-क़द्र हर मुसलमान के लिए नेमतों और बरकतों से भरी हुई रात है। इस रात की इबादत हमें जिंदगी भर के लिए अज्र और सवाब दिला सकती है। इसलिए हमें इस रात को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ इबादत, तौबा और दुआ में बिताना चाहिए। अल्लाह से दुआ है कि वह हमें इस मुबारक रात की कद्र करने और इसका पूरा फायदा उठाने की तौफीक़ दे।
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