### **शब-ए-बारात कब है?**
इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना शुरू होने वाला है और शब-ए-बारात आने वाली है। ऐसे में सभी मुसलमान तैयारियों में लग गए होंगे। आइए इस लेख में विस्तार से इस रात के बारे में जानते हैं।
### **शा'बान महीनें का महत्व**
पूरे साल इंतज़ार करने के बाद यह मुबारक रात मुसलमानों को नसीब होती है। इस रात की अहमियत इतनी ज़्यादा है कि इसे हज़ार महीनों से बेहतर कहा गया है। यानी इस रात की इबादत का सवाब 83 साल 4 महीने की इबादत के बराबर होता है। इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात को बेहद ख़ास और बरकतों वाली रात माना जाता है। यही वह रात है जब फ़रिश्ते ज़मीन पर उतरते हैं, रहमतों की बारिश होती है और अल्लाह अपने बंदों की दुआएँ क़ुबूल करता है।
### **कैसे मनाते हैं शब-ए-बारात?**
शब-ए-बारात इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण रात मानी जाती है, जिसे इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से शा'बान महीने की 14वीं रात को मनाया जाता है। इसे माफी और रहमत की रात भी कहा जाता है। इस रात को इबादत, दुआ और मगफिरत माँगने का ख़ास महत्व है।
### **शब-ए-बारात मनाने का तरीका**
1. इस रात कुछ नफ्ल नमाज़ें अदा की जाती हैं।
2. कुछ लोग 6 रकात या 100 रकात नमाज़ पढ़ते हैं।
3. तहज्जुद की नमाज़ भी बहुत ज़रूरी होती है।
4. इस रात क़ुरान शरीफ की तिलावत करना सवाब होता है।
5. यह रात अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी माँगने के लिए सबसे ख़ास मानी जाती है।
6. दुआ में अपने और अपने परिवार के लिए रहमत और बरकत की अरदास की जाती है।
7. बहुत से लोग इस रात अपनों की क़ब्र पर जाते हैं और उनके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं।
8. कई लोग अगले दिन यानी 15वीं शा'बान को रोज़ा रखते हैं, जो काफ़ी अच्छा माना जाता है।
9. ज़रूरतमंदों को खाना खिलाना, ग़रीबों की मदद करना और ज़कात देना इस रात को और भी फलदायी बनाता है।
### **नफ़िल नमाज़ कैसे अदा करें?**
शब-ए-बारात को इबादत, दुआ और मगफिरत की रात माना जाता है। इसलिए लोग नफ़िल नमाज़ पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। इस रात ज़्यादा से ज़्यादा नफ़िल नमाज़ पढ़ने की हिदायत दी गई है।
#### **दो-दो रकात नफ़िल नमाज़ पढ़ें:**
यह सबसे आसान तरीका है। इसमें आप दो-दो रकात करके 12 या 20 रकात पढ़ सकते हैं।
##### **क्या करें?**
1. पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ें, जैसे सूरह इख़लास।
2. दूसरी रकात में सूरह फातिहा के बाद फिर कोई भी सूरह पढ़ें।
3. दो रकात पूरी होने के बाद सलाम फेरें। फिर से दो-दो रकात पढ़ते रहें।
### **शब-ए-क़द्र की दुआ**
**اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ تُحِبُّ العَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي**
**Allahumma innaka afuwwun tuhibbul afwa fa’Afu anni**
इसका मतलब होता है: "ऐ अल्लाह! तू माफ़ करने वाला है और बेशक तू माफ़ करना पसंद करता है, हमारे तमाम गुनाहों को माफ़ फ़रमा।"
### **तहज्जुद की नमाज़**
शब-ए-बारात की सबसे अहम इबादत तहज्जुद की नमाज़ है। यह रात के आखिरी हिस्से में पढ़ी जाती है। फिर इसमें अल्लाह से अपनी हर ज़रूरत के लिए दुआ की जाती है। अगर कोई इशा के बाद वित्र की नमाज़ पढ़ चुका है, तो वह तहज्जुद की नमाज़ पढ़ सकता है। लेकिन अगर कोई वित्र नहीं पढ़ा, तो उसे तहज्जुद के बाद वित्र पढ़ना चाहिए।
शब-ए-बारात की इस पाक रात में इबादत कर, गुनाहों की माफ़ी माँगकर और ज़रूरतमंदों की मदद करके इसे और भी मुबारक बनाया जा सकता है।
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