गुस्ताखे रसूल की एक सज़ा , सर तन से जुदा , सर तन से जुदा
इसी लिस्ट में आते है वो लोग जो हमारे आक़ा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खिलाफ उनकी शान के खिलाफ ऐसे अलफ़ाज़ का इस्तेमाल करते है जिससे मुसलमानों के दिलो को ठेंस पहुचती है उसे तकलीफ होती है | जिसके चलते हुज़ूर के दीवाने अपने नबी के नामूस के खातिर सडको पर एह्तेजाज़ करते है | नबी के गुस्ताख के गिरफ्तारी की मांग करते है | और उसी भीड़ में एक नारा लगता है " गुस्ताखे रसूल की एक सज़ा , सर तन से जुदा , सर तन से जुदा " ये नारा आया कहा से , सबसे पहले इस नारे का इस्तेमाल कहा और किस मौके पर किया गया ?
हम इस नारे की बात आगे करेंगे पहले उसके नीव को समझते है |
1947 से पहले जब भारत और पाकिस्तान दो अलग अलग देश नहीं थे भारत में अंग्रेजों की हुकूमत थी और उस दौर में हिन्दू मुसलमान आपस में अक्सर झगड़ते रहते थे और उस लड़ाई में एक दुसरे के मज़हबी पहचान उनके आलायकार को लेकर अनाप शनाप बका करते थे जिसे देखते हुए साल 1860 में अंग्रेज़ी हुकूमत ने एक क़ानून बनाया " ईशनिंदा क़ानून " और साल 1927 में किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली बात को अपराध के दायरे में रखा और कानून के मुताबिक़ किसी के मज़हबी रहनुमाओं के ख़िलाफ़ उलटी सीधी बात करने वालो को सज़ा दी जाने लगी |
पाकिस्तान में ईशनिंदा क़ानून का इतिहास
अब आता 1947 जिसमे भारत का बटवारा हुआ भारत और पाकिस्तान दो अलग अलग देश बन गए भारत किसी मज़हबी पहचान के साथ अलग नहीं हुआ लेकिन पकिस्तान अपने मज़हबी पहचान पर इस्लामी मुल्क के तौर पर एक अलग देश बना और अग्रेज़ी हुकूमत के ही तर्ज पर ईशनिंदा कानून पकिस्तान में लागू कर दिया गया |
अब दौर आता है पाकिस्तान के आर्मी कमांडर जनरल जिया उल हक़ का ... जनरल जियाउल हक़ ने इस ईशनिंदा कानून में कई और नयी चीज़े जोड़ी साल 1982 में ईशनिंदा कानून में सेक्शन 295-बी जोड़ा और इसके तहत कुरआन को लेकर कही गयी बेतुकी बातो को अपराध की दायरे में रखा गया। इस कानून के मुताबिक, कुरान की बेहुरमती करने पर उम्र कैद या मौत की सजा हो सकती है। 1986 में ईश निंदा कानून में धारा 295-सी जोड़ी गई और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को लेकर करी गयी गुस्ताखी को अपराध के दायरे में रखा गया जिसके लिए उम्र कैद की सजा या मौत की सजा का कानून बनाया गया | शरीया कोर्ट ने इस कानून को और सख्त बना दिया। और कोर्ट ने ये हुक्म दिया की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ-साथ बाकी सभी नबियों के अपमान को भी अपराध के दायरेमें रखा जाए और इसके लिए सिर्फ और सिर्फ मौत की सजा का कानून हो |
ईशनिंदा क़ानून के तहत सज़ा
मई 2020 में 26 साल की एक औरत अनीका अतीक को ईशनिंदा क़ानून के तहत गिरफ्तार किया गया उनपर ये आरोप था की अनीका ने Whatsup पर कुछ ऐसी चीज़े शेयर करी है जिसपे ईशनिंदा क़ानून लागू होता है | इसे लेकर कोर्ट में केस चला और अनीका अतीक को पहले उम्र कैद की सज़ा हुई है और बाद में उन्हें फांसी की सज़ा दी दी गयी |
गुस्ताखे रसूल की एक सज़ा , सर तन से जुदा , सर तन से जुदा पहली बार कब लगा
ये भी पढ़े :
0 Comments