बिहार के अनुभव से पूरे भारत के मुसलमानों के लिए एक ज़रूरी अपील
तअरीफ़: ये सिर्फ़ क़ाग़ज़ नहीं, आपके वजूद की तस्दीक़ है
भारत में नागरिकता और मतदाता पहचान से जुड़ी प्रक्रियाएं अब पहले से कहीं ज़्यादा दस्तावेज़-आधारित हो गई हैं। हाल ही में बिहार में चली Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया ने यह साफ़ कर दिया कि हर नागरिक को अपनी पहचान और नागरिकता की पुष्टि के लिए दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे — और यह प्रक्रिया सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगी।आज हम पूरे भारत के मुसलमानों से अपील करते हैं:
अपने दस्तावेज़ों की तैयारी अभी से शुरू करें। यह सिर्फ एक प्रशासनिक ज़रूरत नहीं, बल्कि आपके वोट, आपकी आवाज़ और आपके वजूद की हिफाज़त है।बिहार का तजुर्बा: एक चेतावनी और एक मिसाल
बिहार में SIR के दौरान लाखों लोगों से दस्तावेज़ मांगे गए। कई लोग इस प्रक्रिया से अनजान थे, और दस्तावेज़ों की कमी के कारण परेशान हुए। लेकिन जिन लोगों ने समय रहते तैयारी की — उन्होंने आसानी से अपनी पहचान दर्ज करवाई और वोटर लिस्ट में नाम सुनिश्चित किया।यह तजुर्बा पूरे भारत के लिए एक सबक है। आने वाले महीनों में देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह की समीक्षा प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
बिहार SIR में मांगे गए दस्तावेज़ों की सूची
बिहार निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुल 12 दस्तावेज़ों को मान्यता दी थी, जो इस प्रकार हैं:- जन्म प्रमाणपत्र — नगर निगम, पंचायत या किसी सरकारी निकाय द्वारा जारी
- पासपोर्ट — भारत सरकार द्वारा जारी
- मैट्रिकुलेशन या अन्य शैक्षिक प्रमाणपत्र — किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय से
- सरकारी सेवा पहचान पत्र या पेंशन आदेश — केंद्र/राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम से
- स्थायी निवास प्रमाणपत्र — जिलाधिकारी द्वारा जारी
- वनाधिकार प्रमाणपत्र — वन विभाग या संबंधित प्राधिकरण से
- जाति प्रमाणपत्र — SC/ST/OBC के लिए, सक्षम अधिकारी द्वारा
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) दस्तावेज़ — जहां लागू हो
- परिवार रजिस्टर — स्थानीय निकाय द्वारा जारी
- भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र — सरकारी कार्यालय से
- 01 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई सरकारी या PSU पहचान पत्र
- आधार कार्ड — अब मान्य है, लेकिन केवल पहचान के लिए; नागरिकता का प्रमाण नहीं
विशेष छूट: अगर आपका या आपके माता-पिता का नाम 2003 की बिहार वोटर लिस्ट में दर्ज है, तो उसका अंश भी एक वैध दस्तावेज़ माना गया।
पूरे भारत के मुसलमानों के लिए ज़रूरी बातें
हर राज्य में SIR या वोटर लिस्ट अपडेट की प्रक्रिया अलग समय पर होती है। लेकिन दस्तावेज़ों की मांग लगभग एक जैसी होती है — इसलिए अभी से तैयारी करें।
मस्जिदों, मदरसों और मोहल्ला कमेटियों से सहयोग लें
इमाम साहब और टीचर और समाज के जागरूक लोग लोगों को दस्तावेज़ों की अहमियत समझाएं। मोहल्ला स्तर पर जागरूकता फैलाएं — ताकि कोई पीछे न रह जाए।समय का ख़ास ख्याल रखें
आख़िरी तारीख़ का इंतज़ार न करें। दस्तावेज़ पहले से तैयार रखें। मूल प्रमाणपत्रों को सुरक्षित रखें और ज़रूरत पड़ने पर दिखाने के लिए तैयार रहें।अफवाहों से बचें, हक़ीक़त जानें
सोशल मीडिया पर फैल रही ग़लत जानकारी से सावधान रहें। सिर्फ सरकारी स्रोतों या भरोसेमंद ज़रियों से जानकारी लें।दस्तावेज़ तैयार रखना सिर्फ ज़रूरत नहीं, ज़िम्मेदारी है
हर दस्तावेज़ एक गवाही है कि आप इस मुल्क के बाशिंदे हैं। अगर दस्तावेज़ मुकम्मल होंगे, तो कोई भी ताक़त आपकी पहचान को चुनौती नहीं दे सकती। दीन भी यही सिखाता है — तदबीर करो, ज़ुल्म से बचो, और अपने हक़ की हिफाज़त करो।
0 Comments