janaaze ki namaz ka sahi tariqa\जनाज़े की
नमाज़ का सही तरीक़ा
इंसान की पैदाइश, दुनियावी जिंदगी और मौत का सारा राज़ अल्लाह तआला ने क़ुरान में खोल कर बता दिया है। मौत बरहक़ है। जो पैदा हुआ है, उसे मरना ही है। अल्लाह ने अपने बन्दों को नमाज़ का तोहफ़ा देकर बहुत बड़ा एहसान किया है। जनाज़े की नमाज़ भी उन्हीं में से एक है। जनाज़े की नमाज़ कभी-कभी पढ़ने का मौक़ा मिलता है, इसलिए ज़्यादातर लोग नहीं जानते कि जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का सही तरीक़ा क्या है। अगर आप जानना चाहते हैं कि जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का तरीका क्या है, तो इस पोस्ट को ध्यान से पूरा पढ़ें।
जनाज़े की नमाज़
जनाज़े की नमाज़ फर्ज़े किफ़ाया है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी एक ने भी पढ़ ली तो सब बरी हो गए। लेकिन अगर किसी ने भी नहीं पढ़ी, तो जितने लोगों को जनाज़े की खबर हो चुकी थी, वे सब गुनहगार होंगे। जनाज़े की नमाज़ में सूरह फ़ातिहा, रुकू, सजदा नहीं होता है। इसे खड़े-खड़े ही अदा किया जाता है।
जनाज़े की नमाज़ में दो चीजें फर्ज़ हैं:
चार बार तकबीर 'अल्लाहु अकबर' कहना।
क़याम करना (यानि कि खड़े होकर पढ़ना)।
जनाज़े की नमाज़ में तीन सुन्नते मुअक्कदा हैं:
सना पढ़ना।
दरूद शरीफ पढ़ना।
मय्यत के लिए दुआ करना।
सना वही पढ़ें जो नमाज़ में पढ़ते हैं। दरूद शरीफ भी वही पढ़ें जो नमाज़ में पढ़ते हैं, यानी दरूदे इब्राहीम। दुआ नीचे बताई गई है।
जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का तरीका (Janaze Ki Namaz Padhne Ka Tarika)
वुज़ू करें।
जनाज़े को सामने रखकर इमाम खड़े हों।
इमाम के पीछे सफ़ में बाकी सभी लोग खड़े हो जाएं। सफ़ों की तादाद 1, 3, 5, 7... होनी चाहिए।
नियत करें:
"नियत करता हूँ मैं नमाज़े जनाज़ा की चार तकबीरों के साथ, वास्ते अल्लाह तआला के, दुआ मय्यत के लिए, पीछे पेश इमाम के, मुँह मेरा क़ाबा शरीफ़ की तरफ़।"
पहली तकबीर: इमाम 'अल्लाहु अकबर' कहते हुए हाथों को कानों तक उठाकर वापस नाभि के ऊपर बाँध लेंगे। सभी लोग भी यही करें।
सना पढ़ें:
सुभान कल्लाहुम्मा, वबे हमदिका। वतबारा कस्मुका, व जल्ला सना उका । व लाइलाहा ग़ैरुक।
दूसरी तकबीर: इमाम 'अल्लाहु अकबर' कहेंगे, सभी लोग बिना हाथ उठाए वही कहें और हाथ बंधे ही रहें।
दरूद शरीफ पढ़ें:
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व अला आले मुहम्मद, कमा सल्लैता अला इब्राहीम वअला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुम्मजीद।अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आले मुहम्मद, कमा बारकता अला इब्राहीम व अला आले इब्राहीम, इन्नका हमीदुम्मजीद।
तीसरी तकबीर: इमाम 'अल्लाहु अकबर' कहेंगे, सभी लोग बिना हाथ उठाए वही कहें।
मय्यत के लिए दुआ पढ़ें:
अल्लाहुम्मग़्फ़िर लि-हय्यिना व मय्यितिना, व शाहिदिना व ग़ाइबिना, व सगीरिना व कबीरिना, व ज़करिना व उन्साना। अल्लाहुम्मा मन अहयय्तहू मिन्ना फ-अहयिही अलल-इस्लाम, व मन तवफ़्फ़ैतहू मिन्ना फ़तवफ़्फ़हू अलल-ईमान।
अगर नाबालिग़ लड़के का जनाज़ा है, तो यह पढ़ें:
अल्लाहुम्मज अल्हू लना फ़रातव वज्अल्हू लना अज्रव व जुख़्रव वज्अल्हू लना शाफ़िअव व मुशफ़्फाअ।
अगर नाबालिग़ लड़की का जनाज़ा है, तो यह पढ़ें:
अल्लाहुम्मज अल्हा लना फ़रातव वज्अल्हा लना अज्रव व जुख़्रव वज्अल्हा लना शाफ़िअव व मुशफ़्फाअह।
चौथी तकबीर: इमाम 'अल्लाहु अकबर' कहेंगे, सभी लोग बिना हाथ उठाए वही कहें।
सलाम फेरें: पहले दाएँ और फिर बाएँ ऐसे ही जैसे आम नमाज़ में सलाम फ़ेरा जाता है।
कुछ जरूरी बातें:
दूसरी, तीसरी और चौथी तकबीर में हाथ नहीं उठाना होता है। हाथ बंधे ही रहते हैं।
अगर ज्यादा लोग हों, तो सफें बराबर और सीधी रखें।
महिलाएं जनाज़े की नमाज़ में शरीक नहीं होतीं।
इस तरह से आपकी जनाज़े की नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी। अल्लाह से दुआ करें कि वह हमें इस पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे। आमीन।
यहाँ से भी कुछ सीखें
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